लग्नं होरा दृगाणं स्वरनवदशकद्वादशांशाः कलांशा स्त्रिंशत्षष्टयंशकाख्या व्ययदुरितवयश्रीकरामानवानाम्॥ होरा राश्यर्द्धमोजे दिनकरशशिनोरिंदुमार्तडहोरेयुग्मे राशौ दृगाणा निजतनयतपस्थानपानां भवन्ति॥

लग्न कुंडली

जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में उदित हो रही राशि को कुंडली मानकर बनाई गई कुंडली को लग्न/जन्म कुंडली कहते हैं।

होरा कुंडली

होरा कुंडली का अध्ययन मुख्यतः जातक की आर्थिक समृद्धि को जांचने के लिये किया जाता है।

द्रेष्काण कुंडली

द्रेष्काण कुंडली का अध्ययन मुख्यतः जातक के छोटे भाई-बहन का होना/न होना, उनसे संबंधित सुख-दुःख, जातक का स्वभाव और रुचियों के लिये किया जाता है।

चतुर्थांश कुंडली

चतुर्थांश कुंडली का अध्ययन जातक की चल-अचल संपत्ति, वाहन, चरित्र, माता का सुख, स्कूली शिक्षा आदि के लिए किया जाता है।

सप्तमांश कुंडली 

यह वर्ग, जन्मकुंडली के पंचम भाव से सम्बंधित प्रजनन/ संतति सम्बंधित फलों के सूक्ष्म रूप को दर्शाता है।

नवमांश कुंडली

नवमांश कुंडली का उपयोग जन्म कुंडली के पूरक के रूप में किया जाता है। मुख्य रूप से नवमांश का उपयोग विवाह होगा या नहीं, वैवाहिक जीवन की गुणवत्ता और जीवन साथी का चरित्र आदि जानने के लिए किया जाता है।

दशमांश कुंडली

दशमांश कुंडली का अध्ययन जीवन वृत्ति एवं आजीविका से सम्बंधित उपलब्धियों (सफलता, उन्नति, असफलता, बाधा आदि) के लिये किया जाता है। इसके अध्ययन से जातक के व्यवसाय की दिशा भी इंगित होती है।

द्वादशांश कुंडली

जन्मकुंडली का द्वादश भाव पूर्व जन्म और आगामी जन्म की कड़ी के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि यह मोक्ष का कारक और जन्मकुंडली का आखिरी भाव है।

षोडशांश कुंडली 

सामान्यतः इस वर्ग कुंडली का अध्ययन वाहन सुख, जीवन की सामान्य खुशियां, विलासिता आदि के लिये किया जाता है।

विंशांश कुंडली 

इस वर्ग कुंडली का अध्ययन उन खुशियों को देखने के लिये किया जाता है जो आध्यात्मिकता एवं धार्मिक झुकाव या उनसे सम्बंधित क्रिया-कलापों से प्राप्त होती है।

चतुर्विंशांश कुंडली

सामान्यतः इस वर्ग कुंडली का अध्ययन शैक्षिक प्राप्तियों एवं ज्ञान से सम्बंधित फलों (सफलता, असफलता, बाधा आदि) के लिये किया जाता है।

सप्तविंशांश कुंडली

इस वर्ग कुंडली को नक्षत्रांश भी कहते हैं क्योंकि इसके भी सत्ताईस भाग होते हैं। इस वर्ग कुंडली का अध्ययन जातक की शारीरिक एवं मानसिक शक्ति को देखने के लिये किया जाता है।

त्रिंशांश कुंडली

इस वर्ग कुंडली का अध्ययन जीवन की दुर्घटनाएं, बाधाएं, असफलता, दुर्भाग्य आदि के अध्ययन के लिये किया जाता है। इस वर्ग का अध्ययन जातक के नैतिक आचरण को देखने के लिये भी किया जाता है। इस वर्ग कुंडली में लग्न पर पीड़ा होने पर विवाह में देरी भी हो सकती है।

खवेदांश कुंडली

इस वर्ग कुंडली का अध्ययन शुभाशुभ फलों की मात्रा ज्ञात करने के लिये किया जाता है।

अक्षवेदांश कुंडली

इस वर्ग कुंडली का अध्ययन जातक के चरित्र, व्यवहार, आचरण एवं सामान्य शुभाशुभ प्रभावों के अध्ययन के लिये किया जाता है।

षष्ठ्यांश कुंडली

इस वर्ग कुंडली को जन्मकुंडली एवं नवांश कुंडली से भी अधिक महत्व दिया है, परन्तु इसके प्रयोग का अधिक प्रचलन नहीं है क्योंकि इसके लिये जन्म समय का बिल्कुल सही होना आवश्यक होता है। लगभग 2 मिनट के अंतर से षष्ठ्यांश कुंडली बदल जाती है।